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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥
वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।
Day: On any thirty day period, eighth working day with the fortnight, complete moon working day and ninth working day from the fortnight are claimed to become fantastic times. Fridays are also Similarly superior days.
क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि
देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं click here सदाऽऽनन्ददं
श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
Sati was reborn as Parvati into the mountain king Himavat and his spouse. There was a rival of gods named Tarakasura who may very well be slain only because of the son Shiva and Parvati.
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥